राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ियाँ, पठार व मैदान
- अरावली पर्वतमाला की प्रमुख चोटियाँ -
- गुरु शिखर (मांउट आबू, सिरोही )- ऊँचाई -1722 मीटर। राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी। यह हिमालय व पश्चिमी घाट की नीलगिरि के मध्य स्थित सर्वाधिक ऊँची चोटी है। कर्नल जेम्स टॉड ने इसे संतों का शिखर कहा है।
- सेर (मांउट आबू) - ऊँचाई - 1597 मीटर। राज्य की दूसरी सबसे ऊँची चोटी।
- जरगा (उदयपुर) -ऊँचाई -1431 मीटर। राज्य की तीसरी सबसे ऊँची चोटी। जो भोरठ का पठार स्थित है।
- अचलगढ़ (सिरोही) - ऊँचाई -1380 मीटर।
- रघुनाथगढ़ (सीकर) - ऊँचाई - 1055 मीटर। उत्तरी अरावली की सबसे ऊँची चोटी।
- तारागढ़ (अजमेर ) - ऊँचाई 873 मीटर।
- मुकुंदरा पहाड़ियाँ - कोटा व झालावाड़ के बीच स्थित इस भू-भाग का ढ़ाल दक्षिण से उत्तर की ओर है, अतः चम्बल नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।
- मालखेत की पहाड़ियाँ - सीकर जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम।
- हर्ष की पहाड़ियाँ -सीकर जिले में स्थित पहाड़ी, जिस पर जीणमाता का प्रसिद्ध मंदिरस्थित है।
- सुंडा पर्वत -भीनमाल (जालौर) के निकट स्थित पहाड़ियाँ, जिनमें सुंडा माता का मंदिर स्थित है। इस पर्वत पर राज्य का पहला रोप वे प्रारंभ किया गया।
- मालाणी पर्वत श्रृंखला - लूणी बेसिन का मध्यवर्ती घाटी भाग, जो बालोतरा (बाड़मेर) में स्थित है।
- नाकोड़ा पर्वत/ छप्पन की पहाड़ियाँ - सिवाणा (बाड़मेर)
- भैंराच व खो पर्वत - अलवर।
- चिड़ियाटूंक पहाड़ी -जोधपुर जिले में मेहरानगढ़ किला इसी पर स्थित है।
- जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ - आबू क्षेत्र के पश्चिम में स्थित पहाड़ियाँ। डोरा पर्वत चोटी यहीं स्थित है। इसी क्षेत्र में जालौर में रोजा भाकर, इसराना भाकर और झारोल पहाड़ स्थित है।
- उड़िया पठार - राज्य का सबसे ऊँचा पठार, जो गुरू शिखर ले नीचे स्थित है। जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई 1360 मीटर है।
- आबू पठार - राज्य का दूसरा सबसे ऊँचा पठार, जिसकी औसत ऊँचाई 1200 मीटर है तथा यह सिरोही जिले में स्थित है। यही पर टॉड रॉक एवं हार्न रॉक स्थित है।
- मेसा पठार - 620 मीटर ऊँचा पठारी भाग, जिस पर चितौड़गढ़ दुर्ग स्थित है।
- भोरठ का पठार - राज्य का तीसरा सबसे ऊँचा पठार, जो उदयपुर के उत्तर पश्चिम में गोगुन्दा ो कुंभलगढ़ के बीच स्थित है।
- भाकर - पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली व ऊबड़-खाबड़ कटक (पहाड़ियाँ ) जिन्हें स्थानीय भाषा में भाकर कहा जाता है।
- गिरवा - उदयपुर क्षेत्र में तश्तरीनुमा आकृति वाले पहाड़ों की शृंखला को स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।
- लसाड़िया का पठार - उदयपुर में जयसमंद से आगे पूर्व की ओर विच्छेदित व कटाफटा पठार।
- त्रिकूट पहाड़ी - जैसलमेर किला इसी पर स्थित है।
- उपरमाल - चितौड़गढ़ के भैंसरोड़गढ़ से भीलवाड़ा के बिजौलिया तक का पठारी भाग रियासत कल में उपरमाल के नाम से जाना जाता है।
- आडावाला पर्वत - बूँदी जिले में स्थित है।
- मगरा - उदयपुर का उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय भाग। यही जरगा पर्वत स्थित है।
- नाल - अरावली श्रेणियों में मध्य मेवाड़ क्षेत्र में स्थित तंग रास्ता (दर्रों ) को स्थानीय भाषा में नाल कहते है।
- मेवाड़ में प्रमुख नाल - 1. जिलवा की नाल (पगल्या नाल)- यह मारवाड़ से मेवाड़ में आने का रास्ता प्रदान करती है। 2. सोमेश्वर की नाल - देसूरी से कुछ मील का रास्ता उत्तर में स्थित विकट तंग दर्रा। 3. हाथी गुढ़ा की नाल - देसूरी से दक्षिण में 5 मील दूरी पर स्थित नाल। कुम्भलगढ़ का किला इसी नाल के नजदीक है।
- बिजासन का पहाड़ - मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) के पास स्थित है।
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