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Friday, 25 August 2017

राजस्थान में झीलें (Lakes of Rajasthan)





राजस्थान की झीलें (Lakes of Rajasthan)
  • राजस्थान में झीलों का पर्यटन, सिंचाई,लवण उत्पादन, मत्स्य पालन, जलवायु समीकरण एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है।
  • राजस्थान में झीलें दो प्रकार की पाई जाती है- 1. खारे पानी की झीलें व 2. मीठे पानी की झीलें।
खारे पानी की झीलें
  • टेथिस सागर के अवशेष आज भी सांभर, डीडवाना, पंचपदरा आदि खारे पानी की झीलों के रूप में विद्यमान है।
  • राजस्थान में खारे पानी की झीलें मुख्यत: उत्तरी- पश्चिमी मरूस्थलीय भाग में पाई जाती है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक खारे पानी की झीलें नागौर जिले में स्थित है।
  • राजस्थान की झीलों में नमक अधिक मात्रा में पाये जाने का कारण यहां ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली दक्षिणी- पश्चिमी मानसूनी हवाएं है। जो अपने साथ कच्छ की खाड़ी से सोडियम क्लोराइड के कणों को राजस्थान की ओर लाती है।
  • भूमिगत जल से लवण निर्माण में राजस्थान का देश में पहला स्थान है।
सांभर झील (जयपुर)
  • भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी यह झील जयपुर से 65 किमी. दूर फुलेरा के पास स्थित है।
  • जयपुर, नागौर व अजमेर तीन जिलों में सांभर झील का फैलाव है।
  • सांभर झील का प्रवाह क्षेत्रफल 5702 वर्ग किमी. है।
  • भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.70% यहीं से उत्पादित होता है।
  • इस झील में खारी, मन्था,रुपनगढ़, खंडेला, मेढ़ा व सामोद नदियां आकर गिरती है।
  • इस झील के नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा अधिक है, इसलिए यहां सोडियम सल्फेट संयंत्र की स्थापना हिन्दुस्तान साल्ट लिमिटेड की सहायक कंपनी सांभर साल्ट द्वारा की गई है।
  • सांभर झील को पर्यटन के क्षेत्र में रामसर साईट के नाम से जाना जाता है।
  • स्वेडाफ्रूटी व सालवेडोरा स्पीसीज नामक वनस्पति सांभर के जल में से खारेपन की मात्रा को कम करने में सहायक है।
 डीडवाना झील (नागौर)
  • यह नागौर जिले में डीडवाना नगर के निकट 4 किमी. लम्बी व 3-6 किमी. चौड़ी झील है।
  • इस झील का नमक खाने योग्य नहीं है।
  • यहां 1960 में राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स नाम से दो उद्योग स्थापित किए गए हैं, जो सोडियम सल्फाइड एवं सोडियम सल्फेट का उत्पादन करते हैं। इस सोडियम का उपयोग कागज बनाने में किया जाता है।
  • ब्राईन- नमक बनाने के लिए क्यारियों में भरा गया लवणीय पानी जिसे सुखाकर नमक प्राप्त किया जाता है।
पचपदरा झील (बाड़मेर)
  • यह झील बाड़मेर जिले में पंचपदरा नगर के पास स्थित है।
  • पंचा नामक भील द्वारा दलदल को सूखाकर इस झील का निर्माण किया गया था।
  • यहां पर खारापन जाति के लोगों द्वारा मोरली झाड़ी की टहनियों का उपयोग कर नमक के स्फटिक बनाये जाते हैं।
  • यह नमक उत्तम किस्म का होता है जिसमें 98% सोडियम क्लोराइड की मात्रा पाई जाती है।
रैवासा झील (सीकर)
  • यह झील सीकर जिले में स्थित है।
  • इस झील को प्राचीन काल में नमक उत्पादन में सम्पूर्ण एशिया में जाना जाता था।
  • राजस्थान का इतिहास लिखने वाले लेखक कर्नल टॉड ने अपनी पुस्तक एंटीक्यूटीज आफ राजस्थान में रैवासा झील का उल्लेख किया है।
 अन्य खारे पानी की झीलें-
  • लूणकरणसर झील- बीकानेर में स्थित है।
  • फलौदी झील- जोधपुर में स्थित है।
  • कावोद झील- जैसलमेर में स्थित है।
  • तालछापर झील- चुरू में स्थित है।
मीठे पानी की झीलें 

जयसमंद(ढेबर) झील, उदयपुर
  • मेवाड़ के गहलोत वंश के शासक महाराजा जयसिंह ने सन् 1685 से 1691 ई. में उदयपुर शहर से लगभग 51 किमी. दक्षिण-पूर्व में गोमती नदी पर बांध बनवाकर जयसमंद झील का निर्माण करवाया गया।
  • राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम, मीठे पानी की झील है।
  • यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।(भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील गोविंद सागर, भाखड़ा है।)
  • इसको ढेबर झील भी कहा जाता है।
  • इस झील के क्षेत्र में 7 छोटे-बड़े टापू है जिन पर भील व मीणा जाति के लोग रहते हैं।
  • बाबा का भांगड़ा इस झील का सबसे बड़ा टापू है और प्यारी सबसे छोटा टापू है।
  • इस झील में एक टापू पर आइसलैंड रिसोर्ट नामक होटल बनाया गया है।
  • जयसमंद झील के निकट एक पहाड़ी पर चित्रित हवामहल स्थित है।
  • इस झील के पास ही रुठी रानी का महल है।
राजसमंद झील
  • इस झील का निर्माण सन् 1962 में महाराजा राजसिंह द्वारा गोमती नदी पर करवाया गया जो 1676 ई. में पूर्ण हुआ।
  • यह झील 6.5 किलोमीटर लंबी एवं 3 किलोमीटर चौड़ी है।
  • यह राज्य की एकमात्र ऐसी झील है जिस पर किसी जिले का नामकरण हुआ है।
  • इस झील का उत्तरी भाग नौ चौकी की पाल के नाम से प्रसिद्ध है। जहां संगमरमर के 25 शिलालेखों पर 1917 संस्कृत के श्लोकों में रणछोड़ भट्ट द्वारा मेवाड़ का इतिहास अंकित है।
  • यह विश्व की सबसे बड़ी राजप्रशस्ति है जिस पर मेवाड़ के शासकों का वर्णन है।
  • इस झील के किनारे घेवर माता का मंदिर स्थित है।
पिछोला झील (उदयपुर)
  • इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासक काल में 14वीं शताब्दी के अंत में पिछोला गांव में एक बंजारे ने करवाया।
  • इस झील का जीर्णोद्धार राणा उदय सिंह ने करवाया।
  • सिटी पैलेस/राजमहल का निर्माण महाराणा उदय सिंह ने पिछोला झील के किनारे करवाया।
  • इस झील पर निर्मित बांध का पुनर्निर्माण राणा भीमसिंह ने 1795 ई. में करवाया।
  • शाहजहां ने जहांगीर के खिलाफ विद्रोह के दौरान यहां स्थित महलों में शरण ली थी।
  • हल्दी घाटी के युद्ध से पूर्व मानसिंह और राणा प्रताप की मुलाकात पिछोला झील की पाल पर हुई थी।
  • ब्रिटिश इतिहासकार फर्ग्यूसन ने पिछोला झील की तुलना लंदन के विशाल विण्डसर महल से की है।
  • पिछोला झील को जलापूर्ति बुझड़ा एवं सीसारमा नदियों द्वारा होती हैं।
  • इस झील को वर्तमान में स्वरुप सागर झील की सहायता से फतहसागर झील से जोड़ा गया है।
  • पिछोला झील में दो टापुओं पर जग मंदिर और जग निवास महल बने हुए हैं। वर्तमान में ये दोनों राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अधीन है तथा इन्हें होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
फतहसागर झील (उदयपुर)
  • इस झील का निर्माण महाराणा जयसिंह सन् 1978 ई. में करवाया।
  • अतिवृष्टि के कारण तहस-नहस हो जाने पर इसका पुनर्निर्माण महाराणा फतह सिंह द्वारा करवाए जाने के कारण यह फतहसागर झील कहलाई।
  • फतहसागर झील पर स्थित बांध की आधारशिला ड्यूक ऑफ कनाट ने रखी, जिस कारण यह बांध कनाट बांध कहलाया।
  • फतहसागर झील के मध्य में स्थित एक टापू पर नेहरू आइलैंड स्थित है।
  • सन् 1975 ई. में सौर वेधशाला की स्थापना इस झील में स्थित एक टापू पर की गई।
  • फतहसागर झील के नीचे सहेलियों की बाड़ी बाग स्थित है।
  • इस झील के किनारे स्थित मोती-मगरी पहाड़ी को महाराणा प्रताप स्मारक के रूप में विकसित किया गया है।
  • फतहसागर झील के दूसरे किनारे 1989 में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर द्वारा हलाला गांव में ग्रामीण शिल्प एवं लोक कला परिसर शिल्पग्राम का सृजन किया गया है।
आनासागर झील (अजमेर)
  • अर्णोराज (अन्नाजी) ने सन् 1137 ई. में इस झील का निर्माण करवाया।
  • झील के किनारे मुगल बादशाह जहांगीर द्वारा निर्मित दौलत बाग को वर्तमान में सुभाष उद्यान कहते है।
  • इस झील पर शाहजहां ने बारहदरी (बारह दरवाजे) में से संगमरमर के पांच दर का निर्माण करवाया।
 फायसागर झील (अजमेर)
  • इंजीनियर फाय के निर्देशन में बांडी नदी पर बांध बनाकर अकाल राहत कार्यों के तहत इस झील का निर्माण सन् 1891-92 के दौरान करवाया गया।
  • इस झील में जलस्तर अधिक होने पर इसका जल आनासागर में भेज दिया जाता है।
 पुष्कर झील (अजमेर)
  • अजमेर से 13 किलोमीटर दूर पुष्कर में स्थित यह झील तीन ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है।
  • इस झील के किनारे ब्रह्माजी का मंदिर स्थित है।
  • गोकुल चन्द पारीक ने सन् 1752 ई. में ब्रह्माजी मंदिर को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया।
  • राजा मानसिंह प्रथम द्वारा पुष्कर झील के किनारे मानमहल का निर्माण करवाया।
  • पुष्कर झील के किनारे स्थित 52 घाटो में से सबसे बड़ा घाट, गांधी घाट है, जिसे जनाना/महिला घाट भी कहा जाता है। इसका निर्माण मैडम मैरी द्वारा करवाया गया।
  • इंग्लैंड की महारानी मैडम मैरी 1911 ई. पुष्कर झील देखने आई।
  • प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को यहां विशाल पशु मेला भरता है।
 नक्की झील (मांउट आबू, सिरोही)
  • यह मांउट आबू (सिरोही) में स्थित राजस्थान की सबसे ऊंची (1200 मीटर) झील है।
  • टाड राक (चट्टान) जो वास्तविक मेंढ़क की तरह लगती है, इस झील के किनारे स्थित है।
  • नक्की झील के किनारे स्थित घुंघट निकाली स्त्री के आकार की चट्टान जिसे नन राक कहा जाता है।
  • इस झील के किनारे माउंट आबू पर्वत पर हाथी, चम्पा और राम झरोखा नामक गुफाएं स्थित है।
  • रघुनाथ जी का मंदिर इस झील के किनारे स्थित है।
सिलीसेढ़ झील (अलवर)
  • यह झील अलवर से 12 किमी. दूरी पर 10.5 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत है।
  • यहां पर अलवर के महाराजा विनयसिंह ने सन् 1845 में अपनी रानी शीला के लिए एक अद्भुत शाही महल व शिकारी लाज बनवाया था।
बालसमंद झील (जोधपुर)
  • इस झील का निर्माण सन् 1159 में परिहार शासक बालक राव द्वारा करवाया गया।
  • इसकी लम्बाई 1 किलोमीटर तथा चौड़ाई 150 फीट है।
कायलाना झील (जोधपुर)
  • जोधपुर के पश्चिम में स्थित इस झील का निर्माण 1872 में सर प्रताप ने करवाया।
  • यह झील जोधपुर शहर को पेयजल की आपूर्ति करने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
कोलायत झील (बीकानेर)
  • जनश्रुति के अनुसार यहां कपिल मुनि का आश्रम था।
  • इस झील के किनारे प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है।
 अन्य महत्वपूर्ण झीलें-
  •  उदयसागर झील- उदयपुर में स्थित इस झील का निर्माण आयड़ नदी के पानी से होता है।
  • भोपाल सागर झील- चितौड़गढ़ में स्थित इस झील का निर्माण भोपाल सिंह ने करवाया।
  • जैतसागर झील- बूंदी में स्थित इस झील का निर्माण जैता मीणा ने करवाया।
  • नंदसमंद झील- इस को राजसमंद की जीवन रेखा कहा जाता है।
  • मोती झील- इस झील को भरतपुर की जीवन रेखा कहा जाता है।
  • सावन भादो झील- यह झील अचलगढ़ (सिरोही) में स्थित है।
  • तलवाड़ा झील- हनुमानगढ़ में स्थित यह झील घग्घर नदी के जल से भरती है।
  • गैब सागर झील- डूंगरपुर में स्थित है।
  • नवलखा झील- बूंदी में स्थित है।
  • घड़ीसर/गड़ीसर झील- यह झील जैसलमेर में स्थित है। इस झील का निर्माण रावल घड़सिंह अथवा घरसी द्वारा करवाया गया।
  • मानसरोवर एवं काडिला झील- झालावाड़ में स्थित ये झीलें असनावर के निकट मुकुन्दरा पर्वत श्रेणी में स्थित है। इन झीलों के जल का उपयोग मुख्यत: सिंचाई के लिए किया जाता है।

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